लाखों हैं निगाह में, जिंदगी की राह में, सनम हसीन जवॉं, होठो में गुलाब है, ऑंखो में शराब है, लेकिन वोह बात कहॉं ? लट है किसी की जादू का जाल, रंग डाले दिले पे किसी का जमाल(२) तौबा ये निगाहें, के रोकती है राहें(२) देखो ले ले के तीरकमान...ओये लाखों हैं निगाह में, जिंदगी की राह में, सनम हसीन जवॉं, होठो में गुलाब है, ऑंखो में शराब है, लेकिन वोह बात कहॉं ? जानू ना दिवाना मैं दिल का कौन है खयालों की मलिका(२) भीगी भीगी रूत की छावों तले मान लो कहीं वोह आ न मिले(२) कैसे पेहचानू,के नाम नहीं जानू(२) किसे ढुंढें मेरे अरमान...ओये लाखों हैं निगाह में, जिंदगी की राह में, सनम हसीन जवॉं, होठो में गुलाब है, ऑंखो में शराब है, लेकिन वोह बात कहॉं ? कभी कभी वोह इक माहजबीं डोलती है दिल के पास कहीं(२) हैं जो यही बातें, तो होंगी मुलाकातें(२) कभी यहॉं नहीं तो वहॉं...ओये लाखों हैं निगाह में, जिंदगी की राह में, सनम हसीन जवॉं, होठो में गुलाब है, ऑंखो में शराब है, लेकिन वोह बात कहॉं ? गीतकार: मजरूह सुलतानपूरी संगीतकार: ओ.पी.नय्यर गायक: मोहम्मद रफी चित्रपट: फिर वोही दिल लाया हूँ |
माझी,गाण्याची,स्वत:ची अशी वेगळी शैली आहे...आपल्याला आवडली तर आनंदच आहे...नाही आवडली तरी खंत नाही.
शनिवार, १८ जानेवारी, २०१४
लाखों हैं निगाह में....
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२ टिप्पण्या:
चाल पक्की बसली नाही असं वाटतयं.
राजाभाऊ, नव्याने केलंय ध्वमु...आता तरी चाल व्यवस्थित जमली आहे का?
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