बुधवार, २ मे, २०१२

कही दूर जब दिन ढल जाये




कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दूलहन बदन चुराये
छुपकेसे आये
मेरे खयालों के आंगन में
कोई सपनों के दीप जलाये

कभी यूं ही जब हुई बोझल सांसे
भर आई बैठे बैठे जब यूं ही आंखे
कभी मचलके, प्यार से चल के
छुये कोई मुझे पर नझर ना आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दूलहन बदन चुराये
छुपकेसे आये

कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल आये जनमों के नाते
थमी थी उलझन बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दूलहन बदन चुराये
छुपकेसे आये
मेरे खयालों के आंगन में
कोई सपनों के दीप जलाये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दूलहन बदन चुराये
छुपकेसे आये

गीतकार: योगेश
संगीतकार: सलिल चौधरी
गायक: मुकेश
चित्रपट: आनंद

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