शुक्रवार, १० जानेवारी, २०१४

ये दुनिया, ये महफिल...




ये दुनिया, ये महफिल,
मेरे काम की नही, मेरे काम की नही

किसको सुनाऊं हाल दिल-ए-बेकरार का
बुझता हुआ चराग हूँ अपने मजार का
ऐ काश भूल जाऊ मगर भूलता नही
किस धूम से उठा जनाजा बहार का
ये दुनिया ये...

अपना पता मिले ना खबर यार की मिले
दुश्मन को भी ना ऐसी सजा प्यार की मिले
उनको खुदा मिले है खुदा की जिन्हे तलाश
मुझको बस एक झलक मेरे दिलदार की मिले
ये दुनिया, ये ....

सहरा मे आके  भी मुझको ठिकाना ना मिला
गम को भुलाने को कोई बहाना ना मिला
दिल तरसे जिसमें प्यार को, क्या समझू उस संसार को
इक जीती बाजी हार के, मैं ढुंढू बिछडे  यार को
ये दुनिया, ये...

दूर निगाहों से ऑंसू बहाता है कोई
कैसे ना जाऊं मैं मुझको बुलाता है कोई
या टूटे दिल को जोड दो, या सारे बंधन तोड दो
ऐ परबत रस्ता दे मुझे, ऐ कॉंटो दामन छोड दो
ये दुनिया, ये...

गीतकार: कैफी आझमी
संगीतकार: मदन मोहन
गायक: मोहम्मद रफी
चित्रपट: हीर-रांझा

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