रविवार, १७ जून, २०१२

ज़िंदगीभर नही भुलेगी वो बरसातकी रात...




हे माझं ह्या जालनिशीवरचं ५० वं गाणं आहे.... हा प्रयत्न कितपत यशस्वी झालाय सांगा...मी स्वत: अजून पूर्ण समाधानी नाहीये..
पण सद्द्या तरी ह्यापेक्षा जास्त चांगलं मला गाता येत नाहीये. 

ज़िंदगी भर नही भुलेगी वो बरसात की रात
एक अन्जान हसीना से मुलाकात की रात
ज़िंदगी भर नही भुलेगी

हाय वो रेशमी ज़ुल्फो से बरसता पानी
फुल से गालो पे रुकने को तरसता पानी
दिल मे तुफान उठाते हुवे जज़बात की रात
ज़िंदगी भर नही भुलेगी

डरके बिजली से अचानक वो लिपटना उसका
और फिर शर्म से बलखाके सिमटना उसका
कभी देखी ना सुनी ऐसी तिलिस्मातकी रात
ज़िंदगी भर नही भुलेगी

सुर्ख आचल को दबाकर जो निचोडा उसने
दिल पे जलता हुवा एक तीर सा छोडा उसने
आग पानी मे लगाते हुवे
आग पानी मे लगाते हुवे हालात की रात
ज़िंदगी भर नही भुलेगी

मेरे नग़मो मे जो बसती है वो तस्वीर थी वो
नौजवानी के हसी ख्वाब की तावीर थी वो
आसमानो से उतर आई थी जो रात की रात
ज़िंदगी भर नही भुलेगी

गीतकार: साहिर लुधियानवी
संगीतकार: रोशन
गायक-गायिका: मोहम्मद रफी
चित्रपट: बरसात की रात