सोमवार, १८ जून, २०१२

ये हवा, ये रात,ये चांदनी



माझ्या जन्माच्या वेळी म्हणजे १९५२ साली प्रकाशित झालेलं  हे गाणं
आजही तेवढेच ताजंतवानं वाटतंय.  :)

ये हवा, ये रात, ये चांदनी, तेरी इक अदा पे निसार हैं
मुझे क्यूं ना हो तेरी आरझू तेरी जूस्तजू में बहार है

तुझे क्या खबर है ओ बे खबर
तेरी इक नजर में है क्या असर
जो गज़ब मे आये तो केहर है
जो हो मेहरबां तो करार है
मुझे क्यूं ना हो तेरी आरझू, तेरी जूस्तजू में बहार है
ये हवा, ये रात,ये चांदनी...

तेरी बात बात है दिल नशी
कोई तुझ से  बढ के नही हसीं
है कली कली पे जो मस्तियां
तेरी आंखका ये खुमार है
मुझे क्यूं ना हो तेरी आरझू, तेरी जूस्तजू में बहार है
ये हवा, ये रात, ये चांदनी, तेरी इक अदा पे निसार हैं

गीतकार: राजेंद्र कृष्ण
संगीतकार: सज्जाद हूसेन
गायक: तलत मेहमूद
चित्रपट: संगदिल

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