सोमवार, ४ जून, २०१२

मैं कहीं कवी ना बन जाऊं...



मैं कहीं कवी ना बन जाऊं
तेरे प्यारमें ऐ कविता

तुझे दिलके आईनेमे मैने बार बार देखा
तेरी अखरियोंमे देखा तो छलकता प्यार देखा
तेरा तीर मैने देखा तो जिगरके पार देखा
मैं कहीं कवी ना बन जाऊं
तेरे प्यारमें ऐ कविता


तेरा रंग है सलोना तेरे अंगमें लचक है
तेरी बातमें है जादू तेरे बोलमें खनक है
तेरी हर अदा मुहब्बत तू जमीं की खनक है
मैं कहीं कवी ना बन जाऊं
तेरे प्यारमें ऐ कविता

मेरा दिल लुभा रहा है तेरा रूप सादा सादा
ये झुकीझुकी निगाहें करे प्यार और ज्यादा
मैं तुझीपे जान दूंगा, है यही मेरा इरादा
मैं कहीं कवी ना बन जाऊं
तेरे प्यारमें ऐ कविता

गीतकार: हसरत जयपुरी
संगीतकार: शंकर जयकिशन
गायक: मोहम्मद रफी
चित्रपट: प्यार ही प्यार