रविवार, ९ जून, २०१३

जलते हैं जिसके लिये...




जलते हैं जिसके लिये
तेरी आंखोंके के दिये
ढुंढ लाया हूं वोही
गीत मैं तेरे लिये

दिलमें रख लेना इसे हातोंसे ये छुटेना कहीं
गीत नाजूक है मेरा शीशेसे भी टुटेना कहीं
गुनगुनाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये
जलते है जिसके लिये

जब तलक ना ये तेरे रसके भरे होटोंसे मिले
युंही आवारा फिरेगा ये तेरी जुल्फोंके तले
गाये जाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये
जलते हैं जिसके लिये

गीतकार: मजरूह सुलतानपुरी
संगीतकार: एस.डी.बर्मन
गायक: तलत मेहमूद
चित्रपट: सुजाता

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