शुक्रवार, १४ जून, २०१३

सुहानी रात ढल चुकी...




सुहानी रात ढल चुकी,
ना जाने तुम कब आवोगे
जहॉं की रूत बदल चुकी,
ना जाने तुम कब आवोगे

नजारे अपनी मस्तियॉं,
दिखा दिखाके सो गये
सितारे अपनी रोशनी,
लुटा लुटाके सो गये
हर एक शम्मा जल चुकी
ना जाने तुम कब आवोगे

तडप रहें हैं हम यहॉं (२)
तुम्हारे इन्तजार में (२)
खिजा का रंग आ चला है
मौसम-ए-बहार में (२)
हवा भी रुख बदल चुकी
ना जाने तुम कब आवोगे 

सुहानी रात ढल चुकी,
ना जाने तुम कब आवोगे
जहॉं की रूत बदल चुकी,
ना जाने तुम कब आवोगे

गीतकार: शकील बदायुनी
संगीतकार: नौशाद
गायक: मोहम्मद रफी
चित्रपट: दुलारी

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