गुरुवार, २० जून, २०१३

तुम बिन जाऊं कहां...

हे गीत मोहम्म्द रफी आणि किशोर कुमार ह्या दोघांच्याही आवाजात..वेगवगेळ्या शैलीत आणि वेगळी कडवी घेऊन ध्वनीमुद्रित केलं गेलंय..तस्मात  हे गीत रफीसाहेबांच्या शैलीतलं आहे...किशोरदांच्या शैलीतही लवकरच येईल.






तुम बिन जाऊं कहां
तुम बिन जाऊं कहां के दुनिया में आके
कुछ ना फिर चाहा सनम तुमको चाह के
तुम बिन....२

देखो मुझे सर से कदम तक सिर्फ प्यार हूं मैं
गले से लगालो के तुम्हारा बेकरार हूं मैं
तुम क्या जानो के भटकता फिरा
किस किस गली, तुमको चाह के,
तुम बिन जाऊं कहां
तुम बिन जाऊं कहां के दुनिया में आके
कुछ ना फिर चाहा सनम तुमको चाह के
तुम बिन

अब है सनम हर मौसम प्यार के काबिल
पडी जहां छाओं हमारी सज गयी महफिल
महफिल क्या तनहाई में भी
लगता है जी तुमको चाह के,
तुम बिन जाऊं कहां
तुम बिन जाऊं कहां के दुनिया में आके
कुछ ना फिर चाहा सनम तुमको चाह के
तुम बिन

गीतकार: मजरूह सुलतानपूरी
संगीतकार: आर डी बर्मन
गायक: मोहम्मद रफी
चित्रपट:  प्यार का मौसम

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