मन्ना डे ह्यांच्या धीरगंभीर आवाजातलं हे माझं एक आवडतं गीत...माझ्या आवाजात ऐका.
तू प्यार का सागर हैं
तेरी एक बुंद के प्यासे हम
लौटा जो दिया तूने
चले जायेंगे जहॉंसे हम
घायला मन का पागल पंछी
उडने को बेकरार
पंख हैं कोमल ऑंख हैं धुंधली
जाना हैं सागर पार
अब तू ही इसे समझा
राह भूले थे कहॉं से हम
तू प्यार का सागर हैं
इधर झूम के गाये जिंदगी
उधर हैं मौत खडी
कोई क्या जाने कहॉं हैं सीमा
उलझन आन पडी
कानोंमें जरा कह दे
की आये कौन दिशासे हम
तू प्यार का सागर हैं
गीत: शैलेंद्र
संगीत: शंकर जयकिशन
गायक: मन्ना डे
चित्रपट: सीमा
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