सोमवार, १ जुलै, २०१३

सूर ना सजे क्या गाऊं मैं



सूर ना सजे क्या गाऊं मैं
सूर के बिना, जीवन सुना
सूर ना सजे...

दोनों जहां मुझसे रूठे
तेरे बिना ये गीत भी झूठे
सूर ना सजे...

जलते गया जीवन मेरा
इस रात का न होगा सवेरा
सूर ना सजे...

संगीत मन को पंख लगाए
गीतों से रिमझिम रस बरसाए
स्वर की साधना, परमेश्वर की
सूर ना सजे...


गीतकार: शैलेन्द्र
संगीतकार: शंकर-जयकिशन
गायक: मन्ना डे
चित्रपट: बसंत-बहार

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