यूँ हसरतों के दाग़ मुहब्बत में धो लिये
खुद दिल से दिल की बात कही और रो लिये
घर से चले थे हम तो खुशी की तलाश में
ग़म राह में खड़े थे वही साथ हो लिये
खुद दिल से...
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
अब आप की ख़ुशी से काँटों में सो लिये
खुद दिल से...
होंठों को सी चुके तो ज़माने ने ये कहा
ये चुप सी क्यों लगी है अजी कुछ तो बोलिये
खुद दिल से...
गीतकार: राजेंद्र कृष्ण
संगीतकार: मदन मोहन
गायिका: लता मंगेशकर
चित्रपट: अदालत
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