दुनिया ना भाये मोहे अब तो बुला ले चरनों में, चरनों में तेरे, चरनों में, चरनों में मेरे गीत मेरे संग सहारे कोई न मेरा संसार में दिल के ये टुकड़े कैसे बेच दूँ दुनिया के बाज़ार में मन के ये मोती रखियो तू सम्भाले चरनों में, चरनों में तेरे, चरनों में, चरनों में सात सुरों के सातों सागर मन की उमंगों से जागे तू ही बता मैं कैसे गाऊँ बहरी दुनिया के आगे तेरी ये बीना अब तेरे हवाले चरनों में, चरनों में तेरे, चरनों में, चरनों में मैंने तुझे कोई सुख ना दिया तूने दया लुटाई दोनों हाथों से तेरे प्यार की याद जो आये दर्द छलक जाए आँखों से जीना नहीं आया मोहे अब तो छुपा ले चरनों में, चरनों में तेरे, चरनों में, चरनों में गीतकार: शैलेंद्र संगीतकार: शंकर जयकिशन गायक: मोहम्मद रफी चित्रपट : वसंतबहार
माझी,गाण्याची,स्वत:ची अशी वेगळी शैली आहे...आपल्याला आवडली तर आनंदच आहे...नाही आवडली तरी खंत नाही.
गुरुवार, २७ जून, २०१३
दुनियाँ ना भाये..
याची सदस्यत्व घ्या:
टिप्पणी पोस्ट करा (Atom)
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा