शुक्रवार, २६ जुलै, २०१३

तू कहे अगर जीवन भर..


तू  कहे अगर जीवन भर, मैं गीत सुनाता जाऊँ 
मन बिन बजाता जाऊँ 

और आग मैं अपने दिल की, हर दिल में लगाता जाऊँ 
दुख दर्द मिटाता जाऊँ, तू कहे अगर

मैं साज़ हूँ तू सरगम है, देती जा सहारे मुझ को
मैं राग हूँ, तू बीना है, जिस दम तू पुकारे मुझ को
आवाज़ में तेरी हरदम  आवाज़ मिलाता जाऊँ
आकाश पे छाता जाऊँ, तू कहे अगर

इन बोलों में तू ही तू है, मैं समझू या तू जाने
इन में हैं कहानी मेरी, इन में हैं तेरे अफ़साने
तू साज़ उठा उल्फत का, मैं धून पे गाता जाऊँ
सपनों को जगाता जाऊँ, तू कहे अगर

गीतकार: मजरूह सुलतानपूरी
संगीतकार: नौशाद
गायक: मुकेश
चित्रपट: अंदाज

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