वो जब याद आये, बहोत याद आये गम-ए-जिन्दगी के, अँधेरे में हम हैं चराग-ए-मोहब्बत जलाए, बुझाए आहटे जाग उठी, रास्ते हँस दिए थामकर दिल उठे, हम किसी के लिए कई बार ऐसा भी धोखा हुआ हैं चले आ रहे है, वो नज़रे झुकाए दिल सुलगने लगा, अश्क बहने लगे जाने क्या क्या हमे, लोग कहने लगे मगर रोते रोते हँसी आ गयी हैं खयालों में आ के वो जब मुस्कुराये वो जुदा क्या हुए, जिन्दगी खो गयी शम्मा जलती रही, रोशनी खो गयी बहूत कोशिशें की, मगर दिल ना बहला कई साज छेड़े, कई गीत गाए गीतकार: फारूक कैसर संगीतकार: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल गायक-गायिका: मोहम्मद रफी,लता मंगेशकर चित्रपट: पारसमणी
माझी,गाण्याची,स्वत:ची अशी वेगळी शैली आहे...आपल्याला आवडली तर आनंदच आहे...नाही आवडली तरी खंत नाही.
शनिवार, २० जुलै, २०१३
वो जब याद आये...
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