बुधवार, ४ सप्टेंबर, २०१३

मौसम है आशिकाना...




मौसम है आशिकाना
ऐ दिल कहीं से उनको ऐसे में ढूंढ लाना

कहना के रुत जवॉं है, और हम तरस रहे हैं
काली घटा के साए, बिरहन को डस रहे हैं
डर है न मार डाले, सावन का क्या ठिकाना

सूरज कहीं भी जाए, तुम पर न धूप आए
तुम को पुकारते हैं, इन गेसुओं के साए
आ जाओ मैं बना दूँ, पलकों का शामियाना

फिरते हैं हम अकेले, बाहों में कोई लेले
आख़िर कोई कहाँ तक तनहाइयों से खेले
दिन हो गए हैं जालिम, राते हैं कातिलाना

ये रात ये खामोशी, ये ख्वाब से नज़ारे
जुगनू हैं या जमीन पर, उतरे हुए हैं तारे
बेख्वाब मेरी आंखें, मदहोश है ज़माना

गीतकार: कमाल अमरोही
संगीतकार: गुलाम मोहम्मद
गायिका: लता मंगेशकर
चित्रपट: पाकिजा

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