माझ्या लग्नानंतर, पहिल्याच मंगळागौरीला रात्र जागवतांना माझ्या पत्नीने तिच्या सुरेल आवाजात हे गाणं म्हटलं होतं...तिच्याच तोंडून हे गाणं मी पहिल्यांदा ऐकलं...आणि मग पुढे कधीतरी मूळ गाणं लताबाईंच्या आवाजात ऐकलं...पण मला माझ्या पत्नीने गायलेलंच गाणं जास्त आवडलं होतं...साथीला कोणतंही वाद्य नसतांना तिने गायलेलं, ते गाणं केवळ अप्रतिमच होतं....
ह्या गाण्यात पियाला सागर, सावन वगैरे काय काय संबोधलेलं आहे...हे सगळं ऐकून त्यावेळचा मी..अवघा ५२किलोचा जीव...कसला भारावून गेलो होतो. :ड
तरीही स्वत:ला दुय्यम समजून बायकोने नवर्याला इतकं चढवणं मला व्यक्तिश: पटत नाही.
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
अगर तुम हो सागर,
अगर तुम हो सागर, मैं प्यासी नदी हूँ
अगर तुम हो सावन, मी जलती कली हूँ
पिया तुम हो सागर
मुझे मेरी नींदे
मुझे मेरी नींदे, मेरा चैन दे दो
मुझे मेरे सपनों की एक रैन दे दो ना
यही बात पहले,
यही बात पहले भी तुम से कही थी
वोही बात फिर आज दोहरा रही हूँ
पिया तुम हो सागर
तुम्हें छु के पल में बनी धूल चंदन
तुम्हें छु के पल में बनी धूल चंदन
तुम्हारी मेहेक से मेहेकने लगे तन
मेहेकने लगे तन
मेरे पास आओ
मेरे पास आओ, गले से लगाओ
पिया और तुमसे मैं क्या चाहती हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
अगर तुम हो सागर
मुरलिया समझ कर
मुरलिया समझ कर, मुझे तुम उठा लो
बस एक बार होठों से अपने लगा लो ना
एक बार होठों से अपने लगा लो ना
कोई सूर तो जागे
कोई सूर तो जागे मेरी धडकनो में
के मैं अपनी सरगम से रूठी हुई हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
अगर तुम हो सागर,
अगर तुम हो सागर, मैं प्यासी नदी हूँ
अगर तुम हो सावन, मी जलती कली हूँ
पिया तुम हो सागर
गीतकार: नक्श लायलपूरी
संगीतकार: जयदेव
गायिका: लता मंगेशकर
चित्रपट: तुम्हारे लिये
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