रविवार, २१ जुलै, २०१३

जाओ रे जोगी तुम जाओ रे...


जाओ रे जोगी तुम जाओ रे
ये हैं प्रेमिओं की नगरी, यहां प्रेम ही हैं पूजा

प्रेम की पीडा सच्चा सुख हैं
प्रेम बीना ये जीवन दुःख हैं, जाओ रे ...

जीवनसे कैसा छुटकारा
हैं नदिया के साथ किनारा, जाओ रे ...

ज्ञान की कैसी सीमा ज्ञानी
गागर में सागर का पानी, जाओ रे ...

गीतकार: शैलेंद्र
संगीतकार: शंकर-जयकिशन
गायिका: लता मंगेशकर
चित्रपट: आम्रपाली

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