शुक्रवार, ९ नोव्हेंबर, २०१२

छू लेने दो नाजूक होटों को...




छू लेने दो नाजूक होटों को
कुछ और नही है जाम है ये
कुदरत ने जो हमको बक्षा है
वो सबसे हॅंसी इनाम है ये

शरमा के ना यूं ही खो देना
रंगीन जवानी की गलियां
बेताब धडकते सीनो का
अरमान भरा पैगाम है ये
छू लेने दो नाजूक होटों को
कुछ और नही है जाम है ये
छू लेने दो नाजूक होटों को

अच्छों को बुरा साबित करना
दुनिया की पुरानी आदत है
इस मय को मुबारक चीज समझ
माना के बहोत बदनाम है ये
छू लेने दो नाजूक होटों को
कुछ और नही है जाम है ये
छू लेने दो नाजूक होटों को

गीतकार:  साहिर लुधियानवी
संगीतकार: रवि
गायक: मोहम्मद रफी
चित्रपट:  काजल

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत: