इतना ना मुझ से तू प्यार बढा के मैं एक बादल आवारा
कैसे किसी का सहारा बनूं के मैं खुद बेघर बेचारा - (२)
अरमान था गुलशन पर बरसूं, एक शोख के दामन पर बरसूं (२)
अफ़सोस जली मिट्टी पे मुझे, तकदीर ने मेरी दे मारा
इतना ना मुझ से तू प्यार बढा के मैं एक बादल आवारा
कैसे किसी का सहारा बनूं के मैं खुद बेघर बेचारा
मदहोश हमेशा रहता हूं, खामोश हूं कब कुछ कहता हूं (२)
कोई क्या जाने मेरे सीने में, है बिजली का भी अंगारा
इतना ना मुझ से तू प्यार बढा के मैं एक बादल आवारा
कैसे किसी का सहारा बनूं के मैं खुद बेघर बेचारा - (२)
गीतकार: राजेंद्र कृष्ण
संगीतकार: सलिल चौधरी
गायक: तलत महमूद
चित्रपट: छाया
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