मन रे तू काहे ना धीर धरे वो निरमोही मोह ना जाने, जिनका मोह करे इस जीवन की चढ़ती ढलती, धुप को किस ने बांधा रंग पे किस ने पहरे डाले, रूप को किस ने बांधा काहे ये जतन करे, मन रे ... उतना ही उपकार समझ, कोई जितना साथ निभाये जन्म-मरण का मेल हैं सपना, ये सपना बिसरा दे कोई ना संग मरे, मन रे ... गीतकार: साहिर लुधियानवी संगीतकार: रोशन गायक: मोहम्मद रफी चित्रपट: चित्रलेखा
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