ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा कहा दो दिलों ने, के मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा ये क्या बात हैं, आज की चाँदनी में के हम खो गये, प्यार की रागनी में ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें लो आने लगा जिंदगी का मज़ा सितारों की महफ़िल नें कर के इशारा कहा अब तो सारा, जहाँ हैं तुम्हारा मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो करे कोई दिल आरजू और क्या कसम हैं तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे रहे साँस जब तक ये बंधन ना टूटे तुम्हे दिल दिया हैं, ये वादा किया हैं सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा गीतकार: शैलेंद्र संगीतकार: रवी गायक-गायिका: किशोर कुमार-आशा भोसले चित्रपट: दिल्ली का ठग
माझी,गाण्याची,स्वत:ची अशी वेगळी शैली आहे...आपल्याला आवडली तर आनंदच आहे...नाही आवडली तरी खंत नाही.
रविवार, ५ जानेवारी, २०१४
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा...
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