अजीब दास्ताँ हैं ये, कहॉं शुरू कहॉं ख़तम ये मंझीले हैं कौन सी, न वो समझ सके ना हम ये रोशनी के साथ क्यूं, धुवां उठा चिराग से ये ख्वाब देखती हूँ मैं, के जग पडी हूँ ख्वाब से मुबारके तुम्हे के तुम किसी के नूर हो गए किसी के इतने पास हो, के सब से दूर हो गए किसी का प्यार ले के तुम नया जहां बसाओगे ये शाम जब भी आयेगी, तुम हम को याद आओगे गीतकार: शैलेंद्र संगीतकार: शंकर-जयकिशन गायिका: लता मंगेशकर चित्रपट: दिल अपना और प्रीत पराई
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