जरा सामने तो आओ छलिये, छुप छुप छलने में क्या राज है यूं छुप ना सकेगा परमात्मा मेरी आत्मा की ये आवाज है...(२) जरा सामने तो आओ छलिये... हम तुम्हे चाहे तुम नही चाहो ऐसा कभी ना हो सकता पिता अपने बालक से बिछुडके सुख से कभी ना सो सकता हमे डरने की जग में क्या बात है जब हात मे तिहारे मेरी लाज है यूं छुप ना सकेगा परमात्मा मेरी आत्मा की ये आवाज है जरा सामने तो आओ छलिये... प्रेम की है ये आग सजन जो इधर उठे और उधर लगे प्यार का है ये तार पिया जो इधर सजे और उधर बजे तेरी प्रीत पे बडा हमे नाझ है मेरे सर का तू ही रे सरताज है यूं छुप ना सकेगा परमात्मा मेरी आत्मा की ये आवाज है जरा सामने तो आओ छलिये, छुप छुप छलने में क्या राज है यूं छुप ना सकेगा परमात्मा मेरी आत्मा की ये आवाज है जरा सामने तो आओ छलिये... गीतकार: भरत व्यास संगीतकार: एस. एन. त्रिपाठी गायक-गायिका: मोहम्मद रफी-लता मंगेशकर चित्रपट: जनम जनम के पेहेरे
माझी,गाण्याची,स्वत:ची अशी वेगळी शैली आहे...आपल्याला आवडली तर आनंदच आहे...नाही आवडली तरी खंत नाही.
शुक्रवार, १७ जानेवारी, २०१४
जरा सामने तो आओ छलिये...
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