ओ साथी रे........... तेरे बिना भी क्या जीना, तेरे बिना भी क्या जीना, ओ साथी रे... तेरे बिना भी क्या जीना, तेरे बिना भी क्या जीना फुलो में कलियो में सपनो की गलियो में फुलो में कलियो में सपनो की गलियो में तेरे बिना कुछ कही ना, तेरे बिना भी क्या जीना ओ साथी रे...........तेरे बिना भी क्या जीना हर धडकन में प्यास हैं तेरी, सांसो में तेरी खुशबू है इस धरती से उस अंबर तक, मेरी नजर में तू ही तू है प्यार ये टूटे ना.... प्यार ये टूटेना, तू मुझसे रुठेना साथ ये छुटे कभी ना... तेरे बिना भी क्या जीना, तेरे बिना भी क्या जीना ओ साथी रे................ तेरे बिना भी क्या जीना, तेरे बिना भी क्या जीना तुज बिन जोगन मेरी राते, तुज बिन मेरे दिन बंजारे मेरा जीवन जलती भूमी, बुझे बुझे मेरे सपने सारे तेरे बिना मेरी... तेरे बिना मेरी, मेरे बिना तेरी ये जिंदगी जिंदगी ना, तेरे बिना भी क्या जीना, ओ साथी रे........ तेरे बिना भी क्या जीना, तेरे बिना भी क्या जीना तेरे बिना भी क्या जीना, तेरे बिना भी क्या जीना गीतकार : अंजान संगीतकार: कल्याणजी-आनंदजी गायक: किशोर कुमार चित्रपट: मुकद्दर का सिकंदर
माझी,गाण्याची,स्वत:ची अशी वेगळी शैली आहे...आपल्याला आवडली तर आनंदच आहे...नाही आवडली तरी खंत नाही.
बुधवार, २२ जानेवारी, २०१४
ओ साथी रे, तेरे बिना भी क्या जीना...
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