याद ना जाये, बीते दिनों की जा के ना आये जो दिन दिल क्यों बुलाये, उन्हें दिल क्यों बुलाये? दिन जो पखेरू होते, पिंजरें में मैं रख लेता पालता उनको जतन से, मोती के दाने देता सीने से रहता लगाये तसवीर उनकी छूपा के, रख दू जहाँ जी चाहे मन में बसी ये मूरत लेकिन मिटे ना मिटाये कहने को हैं वो पराये गीतकार: शैलेंद्र संगीतकार: शंकर-जयकिशन गायक : मोहम्मद रफी चित्रपट: दिल एक मंदिर
२ टिप्पण्या:
छान जमलंय. विशेषतः अंतर्याला आवाज चढणार नाही असं वाटलं होतं. तिथे छान चढलाय. माझ्या आवडत्या गाण्यांपैकी एक.
धन्यवाद राजाभाऊ!
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