चली चली रे पतंग मेरी चली रे (२) चली बादलोंके पार हो के डोर पे सवार सारी दुनिया ये देख देख जली रे, चली चली रे पतंग मेरी चली रे यूं मस्त हवा में लहराये, जैसे उडन खटोला उडा जाये(२) लेके मन में लगन जैसे कोई दुल्हन चली जाये रे सांवरिया की गली रे चली चली रे पतंग मेरी चली रे (२) चली बादलोंके पार हो के डोर पे सवार सारी दुनिया ये देख देख जली रे, चली चली रे पतंग मेरी चली रे रंग मेरी पतंग का धानी, है ये नील गगन की रानी (२) बांकी बांकी है उठान है उमर भी जवान लागे पतली कमर बडी भली रे चली चली रे पतंग मेरी चली रे (२) चली बादलोंके पार हो के डोर पे सवार सारी दुनिया ये देख देख जली रे, चली चली रे पतंग मेरी चली रे छुना मत देख अकेली, है साथ मे डोर सहेली (२) है ये बिजली की धार बडी तेज है कटार देगी काट के रख दिलजली रे चली चली रे पतंग मेरी चली रे (२) चली बादलोंके पार हो के डोर पे सवार सारी दुनिया ये देख देख जली रे, चली चली रे पतंग मेरी चली रे गीतकार:राजेंद्र कृष्ण संगीतकार: चित्रगुप्त गायक: मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर चित्रपट: भाभी
माझी,गाण्याची,स्वत:ची अशी वेगळी शैली आहे...आपल्याला आवडली तर आनंदच आहे...नाही आवडली तरी खंत नाही.
बुधवार, १९ जून, २०१३
चली चली रे पतंग....
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२ टिप्पण्या:
इथली आवाजाची पोत वेगळी आहे, जास्त सुखद आहे. आवडले :)
धन्यवाद विशाल.
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