ना तुम हमे जानो, ना हम तुम्हे जाने मगर लगता हैं, कुछ ऐसा मेरा हमदम मिल गया ये मौसम ये रात चुप हैं दो होठों की बात चुप हैं खामोशी सुनाने लगी, हैं दास्ताँ नजर बन गयी हैं, दिल की जबॉं मोहब्बत के मोड़ पे हम मिले सब को छोड़ के हम धड़कते दिलों का लेके, ये कारवां चले आज दोनों जाने कहा? गीतकार: मजरूह सुलतानपूरी संगीतकार: सचिन देव बर्मन गायक-गायिका: हेमंत कुमार, सुमन कल्याणपूर चित्रपट: बात एक रात की
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा