फिर वोही शाम वोही गम वोही तनहाई है
दिलको समझाने तेरी याद चली आई है
फिर तसव्वूर तेरे पहलू मे बिठा जायेगा
फिर गया वक्त घडीभरको पलट आयेगा
दिल बहल जायेगा आखिरको तो सौदाई है
फिर वोही शाम
जाने अब तुझसे मुलाकात कभी हो के न हो
जो अधुरी रही वो बात कभी हो के ना हो
मेरी मंज़िल तेरी मंज़िलसे बिछड आई है
फिर वोही शाम
गीतकार: राजेंद कृष्ण
संगीतकार: मदन मोहन
गायक: तलत मेहमूद
चित्रपट: जहां आरा
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