वो शाम कुछ अज़ीब थी
ये शाम भी अज़ीब हैं
वो कल भी पास-पास थी
वो आज भी करीब हैं - २
वो शाम .........
झूकी हुई निगाह में
कही मेरा खयाल था
दबी दबी हंसी में इक
हसीन सा गुलाल था
मैं सोचता था,
मेरा नाम गुनगुना रही हैं वो - २
न जाने क्यों लगा मुझे
के मुस्कुरा रहीं है वो
वो शाम ......
मेरा खयाल है अभी
झूकी हूई निगाह में
मिली हुई हंसी भी है
दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हुं,
मेरा नाम गुनगुना रही हैं वो - २
यही खयाल हैं मुझे
के साथ आ रही हैं वो
वो शाम ........
गीतकार: गुलझार
संगीतकार: हेमंत कुमार
गायक: किशोर कुमार
चित्रपट: खामोशी
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